औकात
औकात : लघुकथा
‘भाइयों और बहनों, हमें ऐसी पार्टी को चुनाव में हराना होगा जो लोगों को जाति और मजहब में बाँटकर सांप्रदायिकता का जहर घोल रही है। हमारे दल में न कोई छोटा है न बड़ा, न ऊँच नीच या जाति धर्म का भेद भाव है। आखिर सब एक ईश्वर की संतान हैं, सभी के खून का रंग लाल है। आपसे अनुरोध है आप हमारी ही समानता पार्टी को वोट देकर हमें जिताइएगा’, भाषण खत्म कर नेताजी गाड़ी में जाकर बैठ गये।
पीछे पीछे गाँव के कुछ और लोग भी गाड़ी में बैठ गये। नेताजी मन ही मन में बड़बड़ाने लगे: ई ससुरे, कोन्हों की औकात नहीं है गाड़ी में बैठने की, सारी गाड़ी खराब कर दी। ससुरा इलेक्शन नहीं होता तो सब को यहीं औकात बता देते।
श्रीकृष्ण शुक्ल,
MMIG – 69,
रामगंगा विहार,
मुरादाबाद ।
21.01.2021