ओ हुश्न, जो तू हो सहज रूबरू l
ओ हुश्न, जो तू हो सहज रूबरू l
सही सही जीवन, हो जाए सुरू ll
रकीबों की हो, एसी की तैसी l
जो मैं हो जाऊं, तेरी आरजू l
जीवन की कभी ना, परवाह करूं l
जो तू हो जाए, मेरी आबरू ll
तेरी चाह ना, तेरा नशा नहीं l
बता एसी प्यास लेकर, क्या करूं ll
अरविन्द व्यास “प्यास”