ओ री जवां मस्ती, चुस्ती, प्रीत बस्ती, प्रीत कश्ती l
ओ री जवां मस्ती, चुस्ती, प्रीत बस्ती, प्रीत कश्ती l
साथ साथ चल, नहीं कर कभी सुस्ती, जिन्दगी सस्ती l
बाहरी जिंदगी, है तरसाती, है गरज लिए गरजती l
खुद से की, सही दिखती, सही होती है, मटरगस्ती ll
अरविन्द व्यास “प्यास”