Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2024 · 1 min read

ओ मैना चली जा चली जा

विशाल नदी में बाढ़ आई है
आसमान में धूल भरी आंधी
उमड़ घूमड़ रही है,
ओ मैना चली जा
चली जा,
जंगल में आग और धुआं
जोरों से उठ रहा है
ओ मैना चली जा
चली जा,
तुम्हारे मां बाबा
बरसाती तूफान में
असहाय बहे जा रहे हैं
ओ मैना चली जा
चली जा…..।।
: राकेश देवडे़ बिरसावादी

Language: Hindi
111 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
International Self Care Day
International Self Care Day
Tushar Jagawat
ये सूरज के तेवर सिखाते हैं कि,,
ये सूरज के तेवर सिखाते हैं कि,,
Shweta Soni
*उपस्थिति रजिस्टर (हास्य व्यंग्य)*
*उपस्थिति रजिस्टर (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
दाम रिश्तों के
दाम रिश्तों के
Dr fauzia Naseem shad
इल्म हुआ जब इश्क का,
इल्म हुआ जब इश्क का,
sushil sarna
हास्य कुंडलिया
हास्य कुंडलिया
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जो ये समझते हैं कि, बेटियां बोझ है कन्धे का
जो ये समझते हैं कि, बेटियां बोझ है कन्धे का
Sandeep Kumar
உனக்கு என்னை
உனக்கு என்னை
Otteri Selvakumar
जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं
जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं
अंसार एटवी
जब हक़ीक़त झूठ से टकरा गयी…!
जब हक़ीक़त झूठ से टकरा गयी…!
पंकज परिंदा
बेचैन थी लहरें समंदर की अभी तूफ़ान से - मीनाक्षी मासूम
बेचैन थी लहरें समंदर की अभी तूफ़ान से - मीनाक्षी मासूम
Meenakshi Masoom
तुम्हारे जैसे थे तो हम भी प्यारे लगते थे
तुम्हारे जैसे थे तो हम भी प्यारे लगते थे
Keshav kishor Kumar
Shankar Dwivedi (July 21, 1941 – July 27, 1981) was a promin
Shankar Dwivedi (July 21, 1941 – July 27, 1981) was a promin
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
अपने दिल में चोर लिए बैठे हैं
अपने दिल में चोर लिए बैठे हैं
Suryakant Dwivedi
दूर अब न रहो पास आया करो,
दूर अब न रहो पास आया करो,
Vindhya Prakash Mishra
..
..
*प्रणय*
If.. I Will Become Careless,
If.. I Will Become Careless,
Ravi Betulwala
मन तो मन है
मन तो मन है
Pratibha Pandey
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चलते हुए मैंने जाना डगर में,
चलते हुए मैंने जाना डगर में,
हरीश पटेल ' हर'
पुस्तक विमर्श (समीक्षा )-
पुस्तक विमर्श (समीक्षा )- " साये में धूप "
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
7) “आओ मिल कर दीप जलाएँ”
7) “आओ मिल कर दीप जलाएँ”
Sapna Arora
मन का मैल नहीं धुले
मन का मैल नहीं धुले
Paras Nath Jha
सूत जी, पुराणों के व्याख्यान कर्ता ।।
सूत जी, पुराणों के व्याख्यान कर्ता ।।
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
पिता
पिता
विजय कुमार अग्रवाल
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
"ओम गुरुवे नमः"
Dr. Kishan tandon kranti
4289.💐 *पूर्णिका* 💐
4289.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
बथुवे जैसी लड़कियाँ /  ऋतु राज (पूरी कविता...)
बथुवे जैसी लड़कियाँ / ऋतु राज (पूरी कविता...)
Rituraj shivem verma
Loading...