ओ मेरे मन धीर धर
ओ मन मेरे धीर धर
खुद को यूह न व्याकुल कर
भटकती चंचल आदत तेरी
मैं डाल डाल तु पात पात
लालच को दिल मे पाल पाल
ओ मन मेरे तु धीर धर
सुकून को रख के परे
सब पाकर भी तू न हो शांत
और पाने की लालसा मे तेरी
करता मेहनत सुबह शाम
ओ मन मेरे तु धीर धर