ओ मेरी सांसों के सारथी ।
ओ मेरी सांसों के सारथी ।
अब नहीं होंगी सांसें स्वार्थी ।।
बदलती, गिरती, चढ़ती है, तिथि l
कभी तो ताकतवर, होती तिथि ll
मानव बना रखती, एक सोच l
जीवन में अर्थ, रखती अर्थी ll
जीवन पल पल पाठशाला है l
सही जिया जो रहा विद्यार्थी ll
सहज कर कर, प्रेम और विवाह l
क्यों बनते रहते, विवादार्थी ll
मंदी छोड, बुलंदी से जुडो l
शरण दो, नहीं बनो शरणार्थी ll
प्यास पैदा करे सदा स्पर्धा l
प्यास नहीं बनने दे हितार्थी ll
अरविन्द व्यास “प्यास”