ओ गोरिया
ओ गोरिया, आँखों से तू मदहोश है
जिसे देखूं मुझको लागे दिल में चोट रे
जब-जब तुझको देखूं, हलचल होती है दिल में
जब न देखूं तुझको, मैं पड़ जाऊं मुश्किल में
ओ गोरिया, तू ही तो मेरा होश है
जिसे देखूं मुझको लागे दिल में चोट रे
हर सुबह सबेरे शाम, लेते रहता तेरा नाम
तेरे आँखों के इशारे, क्यों करते मुझे सलाम
ओ गोरिया, बातों में तेरी जोश है
जिसे पा के मुझको लागे दिल में चोट रे
तेरा पल-पल में मुस्काना, यूं धड़कन मेरा बढ़ाये
बेचैन मेरा दिल अक्सर, तेरा दर्द देख हो जाये
ओ गोरिया, बस तू मेरे आगोश है
जिसे सोचूं मुझको लागे दिल में चोट रे
ओ गोरिया, आँखों से तू मदहोश है
जिसे देखूं मुझको लागे दिल में चोट रे
✍️_ राजेश बन्छोर “राज”
हथखोज (भिलाई), छत्तीसगढ़, 490024