—ओह्ह जिंदगी —
जिंदगी हर कदम, इक नई जंग है,
आज हैं संग संग, न जाने कर दे कब दंग है।
चलता फिरता दौड़ता भागता आज है,
बस कल नहीं है.
संजोता है न जाने कितने ख्वाब दिल में,
फिर भी नजर आता बेरंग है..
आज के हालत ने बदल दिआ बहुत कुछ,
सोचता है कुछ और होता कुछ अलग है,
ऐ जिंदगी सब जानते है,
तू तो है बेवफा,
मौत ही तो मेहबूबा है साथ ले जायेगी,
छोड़ जाता है निशान आदमी,
ले जाता साथ सफ़ेद रंग है..
ऐ खुदा तेरा मजबून
न पढ़ सका कोई यहाँ,
तेरा तो फलसफा ही अलग है..
कोरे कागज़ जैसा भेजता है जमीन पर,
पर जाता वापिस बन दागदार है..
जिंदगी सच मिलती एक बार है,
पर परेशां करती बार बार है..
सच है बेवफा सा करती सलूक है ,
पर बनती बहुत समझदार है,
जिंदगी एक नई जंग है,
पर यहाँ जीने को हर इंसान मजबूर है..
अजीत कुमार तलवार
मेरठ