ओस
पिघला चाँद
टपका बूंद बूंद
बन के ओस
करें श्रृंगार
कमसिन कली का
ओस के मोती
कातिल सूर्य
कोहरे ने बचाई
ओस की जान
नोचे धूप ने
दूब के बदन से
मोती ओस के
चुगने आया
सूरज राजहंस
ओस के मोती
सो रही ओस
ओढ़ कर कोहरा
ठंडी रातों में
भोर पिरोती
दूब की डोरियों में
ओस के मोती