ओस भरी निशा में ये चमकते तारे
अंखियों को सुकून देते हैं ये नजारे
ओस भरी निशा में ये चमकते तारे
आसमान से जमीं का सफर करते
पानी बन जाते शाम से सहर करते
शबनम के नाम से न जाने जाते ये
सूर्य से मिलने की न चाह गर करते
जिंदगी में कुछ पाये तो कुछ हारे
ओस भरी निशा में ये चमकते तारे ।
चांद आसमान की खुबसूरती है
तारों में कभी बादलों में घूमती है
काली अंधेरी रात आ जाती है
फिर पूनम आसमां को चूमती है
ख़ामोश समन्दर मचलते किनारे
ओस भरी निशा में ये चमकते तारे
नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर