Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Aug 2021 · 1 min read

ओल के चोखा

भइया हो हम गइल रहनी, पहिले पहिल ससुरारी में।
दही, पनीर सह मुर्गा, अण्डा, घीउ पड़ल तरकारी में।
नाश्ता आइल नाश्ता ऊपर, चाय क ऊपर चाय चले।
सासु,सार,सरहज,साली सब, हाल पुछें लो पले-पले।
छेंवकि बघारि के भोजन बनुवे, पूआ अउर पकौड़ी।
निहोरा पर भइल निहोरा, बबुआ लीं तनिं अउरी।
पास पड़ोस के लगुआ-भगुआ, हँसी-हंँसी के बतियावें।
कनखी मारी-मारी के साली, हमरो दिल बहलावें।
पाहुन कुछऊ खाते नइखीं, सासु उलहना खूब करें।
खातिरदारी के चर्चा तऽ, भइल रहल तब घरे-घरे।
मनवा पागल भइल खुशी से, गार्डन-गार्डन हृदय भइल।
लागल जइसे सफल भइल हऽ, पछिला जन्म क पुन्य कइल।
भइया हो कुछ समय बितल हऽ, दिन महिना साल गइल।
आदर नाहीं ससुरारी में, सुखवा सब सपना भइल।
ऊ दिनवा ना लौट के आई, समय बड़ी हरजाई।
दुअरे पर अब बीछत रामा, पाहुन के चरपाई।
करिहऽ जनी बिधाता कबहूँ, केहुए साथे धोखा।
लउकी की तरकारी साथे, मिलत ओल के चोखा।

(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464

Language: Bhojpuri
4 Likes · 2 Comments · 776 Views

You may also like these posts

फिर तेरी याद आई , ए रफी !
फिर तेरी याद आई , ए रफी !
ओनिका सेतिया 'अनु '
इस तरह मुझसे नज़रें चुराया न किजिए।
इस तरह मुझसे नज़रें चुराया न किजिए।
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
एक नम्बर सबके फोन में ऐसा होता है
एक नम्बर सबके फोन में ऐसा होता है
Rekha khichi
खैर जाने दो छोड़ो ज़िक्र मौहब्बत का,
खैर जाने दो छोड़ो ज़िक्र मौहब्बत का,
शेखर सिंह
हर वो शख्स खुश रहे...
हर वो शख्स खुश रहे...
Ravi Betulwala
Love is
Love is
Otteri Selvakumar
माटी तिहार
माटी तिहार
Dr. Kishan tandon kranti
अपना अपना सूरज
अपना अपना सूरज
Karuna Bhalla
जिंदगी कि सच्चाई
जिंदगी कि सच्चाई
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ज़माना इतना बुरा कभी नहीं था
ज़माना इतना बुरा कभी नहीं था
shabina. Naaz
परेशानियों से न घबराना
परेशानियों से न घबराना
Vandna Thakur
"बड़बोलापन यूं बना देख कोढ़ में खाज।
*प्रणय*
अचानक ज़िन्दगी में कभी –
अचानक ज़िन्दगी में कभी –
पूर्वार्थ
मेरे अंतस मे बह गए
मेरे अंतस मे बह गए
Meenakshi Bhatnagar
"पेड़ों की छाँव तले"
Anil Kumar Mishra
*चम्मच पर नींबू रखा, डंडी मुॅंह में थाम*
*चम्मच पर नींबू रखा, डंडी मुॅंह में थाम*
Ravi Prakash
यदि आपके पास नकारात्मक प्रकृति और प्रवृत्ति के लोग हैं तो उन
यदि आपके पास नकारात्मक प्रकृति और प्रवृत्ति के लोग हैं तो उन
Abhishek Kumar Singh
मैं तुम्हारी क्या लगती हूँ
मैं तुम्हारी क्या लगती हूँ
Akash Agam
फलानी ने फलाने को फलां के साथ देखा है।
फलानी ने फलाने को फलां के साथ देखा है।
Manoj Mahato
फूल बन खुशबू बिखेरो तो कोई बात बने
फूल बन खुशबू बिखेरो तो कोई बात बने
इंजी. संजय श्रीवास्तव
.....हा हा दो पैरों वाले सभी .आवारा पशु
.....हा हा दो पैरों वाले सभी .आवारा पशु
Dr.Pratibha Prakash
जिंदगी
जिंदगी
Deepali Kalra
देख लूं आज मैं भी 'अज़ीम आसमां को मुद्दतों से,
देख लूं आज मैं भी 'अज़ीम आसमां को मुद्दतों से,
manjula chauhan
नज्म- नजर मिला
नज्म- नजर मिला
Awadhesh Singh
मत करना तू मुझ पर भरोसा
मत करना तू मुझ पर भरोसा
gurudeenverma198
बरसात का मौसम सुहाना,
बरसात का मौसम सुहाना,
Vaishaligoel
जिस डाली पर बैठो हो,काट न बंधु डाल रे
जिस डाली पर बैठो हो,काट न बंधु डाल रे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
पिता का अभिमान बेटियाँ
पिता का अभिमान बेटियाँ
उमेश बैरवा
2573.पूर्णिका
2573.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
गंगा ....
गंगा ....
sushil sarna
Loading...