ओलंपिक
आयोजन था ओलंपिक का, शहर टोक्यो था जापान।
हाथ तिरंगा लेकर पहुँचे, शेर हिंद के वीर जवान।
कांसा जीता चांदी जीता, उन्नत कर भारत का भाल।
गोल्ड न आया ओलंपिक से, पुरा देश तब था बेहाल।
सत्तासी मीटर तब भाला, नीरज भाई दिये उछाल।
लगा निशाना तब सोना पर, धन्य धन्य भारत के लाल।
खुशियों के पल लेकर आये, खत्म किए तुम इंतेज़ार।
सीना चौड़ा किए हिन्द का, नीरज तेरी जय-जयकार।
सन्तोष कुमार विश्वकर्मा सूर्य