ओम लिखा है
भक्ति भाव भाव से ओत – प्रोत मन
प्रभु चरित्र का व्योम लिखा है
मन में उपजे हर कलुष विचार का
भक्ति में आहुति होम लिखा है
शब्द असंख्य लिखे ही क्यों
जब जर्रे -जर्रे पर ओम लिखा है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
भक्ति भाव भाव से ओत – प्रोत मन
प्रभु चरित्र का व्योम लिखा है
मन में उपजे हर कलुष विचार का
भक्ति में आहुति होम लिखा है
शब्द असंख्य लिखे ही क्यों
जब जर्रे -जर्रे पर ओम लिखा है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी