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9 Apr 2023 · 1 min read

ओढ़े के भा पहिने के, तनिका ना सहूर बा।

ओढ़े के भा पहिने के, तनिका ना सहूर बा।
आज काल्ह के बबुनी के, कुछुओ ना लूर बा।।

बाबू जी से लड़ें रोजे, माई के दे गाली।
फटही उ जिन्स पेन्हे, बीयर बार जाली।
लाज के लजावे लायक, लूर भरपूर बा।
ओढ़े के भा पहिने के, तनिका ना सहूर बा।।

अजबे जमाना आइल, बिगड़ल रहनिया।
लागत बढुवे उफर परल अँखिया के पनिया।
फैशन में बबुनी के, बीकल धूरे- धूर बा।
ओढ़े के भा पहिने के, तनिका ना सहूर बा।।
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’

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