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20 Dec 2020 · 5 min read

ओए पत्रकार….. चुप

9 बजने में 10 मिनट बाकि थे स्टूडियो में बड़ी गहमागहमी थी लोग आज बड़े खुश दिख रहे थे क्यों कि आज 9 बजे के प्राइम स्लॉट में चैनल के जाने माने पत्रकार राकेश सिंह कुछ सनसनी खुलासा करने वाले थे जो तत्कालीन सरकर का चेहरा उजागर करने वाली थी। मिस्टर सिंह अपने ऑफिस के केबिन में बैठे लास्ट समय की तैयारी कर रहे थे की उनके फोन पर रिग बजती है। मिस्टर सिंह ध्यान ना देते हुए अपने काम में व्यस्त रहते हैं। फोन की घंटी फिर से बजती है इस बार वो फोन उठाते हैं और बोलते हैं- हेल्लो आप जो भी हैं अभी 10:30 के बाद कॉल करें। मैं अभी अपने शेड्यूल में लाइव जाने वाला हूँ। और फोन काट देते हैं। और अपने केबिन से निकल कर स्टूडियो की तरफ बढ़ते हैं जहाँ कैमरे और सब चीज बिलकुल उनकी प्रतीक्षा कर रही थी। उनकी फोन की घंटी फिर से बजती है पर वो उसे ना उठाकर अपने साथी पत्रकार आभा दत्ता को दे देते हैं। आभा प्लीज इसे देखो यार अभी मेरा टाइम लाइव जाने का हो गया है तो इसे बोलो की सर अभी बिजी हैं। और ऐसा बोल कर वो अपने स्टुडयो के चेयर पर बैठ जाते हैं और स्पॉट ब्यॉय उन्हें माइक अप करने लगता है। इधर आभा फोन उठाती हैं और कुछ समझ पाती बोल पाती इससे पहले ही सामने से आवाज आती है- ओए पत्रकार चुप….. मेरी बात तुझे समझ नहीं आती। आभा बोलती है- कौन बोल रहे हो? सामने से आवाज आती है- मैडम मैं कोई भी हूँ फोन सिंह को दो। आभा बेपरवाही से- सर स्टुडियो में लाइव के लिए तैयार हैं उनसे अभी बात नहीं हो सकती। सामने से गुस्से में – साली समझ में नही आता, वो जो भी खबर पढ़ने वाला है अगर पढ़ लिया ना तो आज उसे चैनल के गेट पर गोली मारूँगा।
हम देशभक्त हैं, और हमारे यसस्वी प्रधानमंत्री के बारे में एक शब्द नही सुन सकते समझी । जाके बता दे उस नल्ले पत्रकार को।
आभा बोलती है- चल! ऐसे फालतू लोग रोज फोन करते हैं। तू जाके यूट्यूब पर गालियों वाले वीडियो बना फोन करके समय खराब मत कर। और फोन काट कर स्टूडियो की तरफ बढ़ जाती है।
सिंह साहब अपना खबर पढ़ने में मशरूफ थे। जैसे ही वो अपना काम खत्म करके बढ़ते हैं सब तालियां बजाना शुरू कर देते। स्टूडियो से निकलते ही सब बधाई और बुके वगैरह देकर उनका हौसला बढ़ाते हैं और घोटाला के बारे में एकदम सटीक साक्ष्य के साथ खुलासा करते हैं इसके लिए सब दाद देते हैं। आभा उनके पास जाती है और फोन देते हुए। सर ये आपका फोन और सर बहुत अच्छा था। आज रेटिंग भी अच्छी है। सिंह साहब और आभा बात करते हुए आगे बढ़ते जाते हैं। सिंह साहब पूछते हैं- आभा! फोन किसका था। कुछ बोला सामने से?
सर फोन उठाते ही बोला- ओए पत्रकार चुप… फिर वही जान से मार दूंगा और गालियां कुछ खास नहीं। पर एक बात मुझे अजीब लगी- आभा बोली।
सिंह साहब ने उसकी ओर देखते हुए आश्चर्य से पूछा- भई धमकियां तो रोज ही आती रहती है, हमारा काम ही ऐसा है कि सबको खुश नहीं कर सकते। और जो खुश नहीं होते हैं उनमें से कुछ ज्यादा ही दुखी आत्मा हमे याद कर लेती है।
आभा ने कहा- सर ! मैं मानती हूं कि ये सब होता है पर फोन पर सब बोलते हैं कि आगे से मत बोलना, सुधर जा। पर आज वाला बोला कि……. उसे बोल की आज जो खबर बताने वाला है वो ना करे।
एकदम विस्मित होकर सिंह साहेब बोलते हैं- क्या?? ये खबर बाहर किस लिक हुई, ये बात सिर्फ खास लोगों को पता थी।
और कुछ बोला उसने??
आभा- सर और कुछ तो नहीं बोला मैंने ही उसे बोलने नही दिया। फोन काट दिया।
चलो.. पर ये पता लगाना पड़ेगा कि ये खबर बाहर पहुची कैसे और वो कौन था। क्यों कि जिसने भी ये बात बाहर पहुचाई है वो कोई विश्वास पात्र ही होगा। क्यों कि उन सब के अलावा चैनल के लोगों को भी नही पता था।
इतना बोल कर वो अपने केबिन में जाते हैं। अपना बैग साथ में लेते हैं और बाहर के तरफ चल पड़ते हैं।
जैसे ही चैनल के गेट के बाहर निकलते हैं। उन्हें अंदाजा हो जाता है कि इस खबर का क्या असर हुआ है।बाहर लोगों की भीड़ थी और बहुत सारे पत्रकार लोग साक्षात्कार लेने के लिए माइक लेकर उनकी तरफ दौड़ पड़े। सर आपको ये जानकारी कहाँ से मिली?, सर इसका सोर्स क्या है?, आप प्रधानमंत्री जी के ऊपर बहुत बड़ा आरोप लगा रहे हैं सर। कुछ बताइये सर। ऐसे सवालों की झड़ियाँ लग गई। सिंह साहब रुक कर पत्रकारों को बोले, देखिये आप जैसे रिपोर्टर और कुछ मेरे रिसर्च इसके सोर्स हैं और साक्ष्य एकदम सही हैं। हमारा काम है सही खबर दिखाना और वो मैं बखूबी कर रहा हूं। इतना बोलकर वो गाड़ी की तरफ बढे ही थे कि उनके फोन की घंटी बजती है, फोन उठाते ही सामने से आवाज आती है- साले तुझे आज वार्निंग दी थी न की ये खबर मत पढ़ियो, तुझे समझ नहीं आयी। ले अब समझदारी की गोली खा। एक गोली उनके पैर में आकर लगती है। चारो तरफ भगदड़ मच जाती है और उनके साथ वाले गार्ड और अन्य लोग उन्हें उठाकर गाड़ी में डालते हैं और हॉस्पिटल की तरफ भागते हैं। इधर सारे चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज चल रही होती है कि आज सम्मानित टीवी पत्रकार को गोली मारी गई।उधर सिंह साहेब हॉस्पिटल में भर्ती कराए गए और उनकी फैमिली को कॉल किया गया। सिंह साहेब पड़े पड़े ये सोच रहे थे कि देश में कितना बदलाव आ गया है। पहले घोटालों के खुलासा करने वाले, क्राइम की रिपोर्टिंग करने वाले, या बड़े ओहदों पर बैठे लोगों से तीखे सवाल करने वाले पत्रकारों को उम्दा पत्रकार माना जाता था। अब उन्हें देशद्रोही, पाकिस्तानी और न जाने किस किस तरह से अपमानित किया जाता है।
उनके पैर से गोली निकलने की प्रकिया शुरू होती है और सिंह साहब स्ट्रेक्चर पर लेटे लेते ये सोच रहे होते हैं कि किस तरह से अपने विश्वासघाती का पता लगाया जाये और उस गोली चलाने वाले का भी। क्यों कि उनके दिमाग में आभा की कही बात घूम रही थी कि- सर उसने बोला ओए पत्रकार चुप।

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 315 Views
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