ओंकार, अघनाशक,परम आनंद हैं जो: जितेंद्र कमल आनंद ( १३१)
ओंकार, अघनाशक ,परम आनंद हैं जो ,
क्यों न करें भक्त यशगान आठों याम ही ।
देख- देख प्रभु प्रेममूर्ति की सौंदर्य राशि ,
करते मधुप रसपान| अविराम ही ।
सगुण साकार हैं जो गोविंद मुरारी श्याम ,
मन्मथहारी हैं जो ललित ललाम| ही ।
भाग्य के विधाता जो विभु फलदाता कर्म के जो –
क्यों न करें ऐसे श्रीकृष्ण को प्रणाम ही ।।घनाक्षरी १३१!!
—- जितेंद्रकमल आनंद| रामपुर ( उ प्र )