ऑनलाइन जिंदगी ऑफलाइन रिश्ते
ऑनलाइन जिंदगी ऑफलाइन रिश्ते
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ऑनलाइन जिंदगी ऑफलाइन रिश्ते
जो अब संजीदगी से नहीं हैं निभते
आधुनिकता की चकाचौंध मे गुम हैं
औपचारिकताओं की भेंट चढ़े रिश्ते
ऑनलाइन जिन्दगी में नये रिश्ते बने
ऑफलाइन आस्तित्व खो रहे रिश्ते
चैट में मेट हो हैलो हाय रहें करते
जो पास में बैठे हैं रहें उनसे टलते
असली चरित्र में चरित्रहीन निकलते
छायाचित्र बनावटी रहें पॉस्ट करते
मेल फिमेल भेद भी समद ना आये
नर बने नारियाँ हुए कलंकित रिश्ते
सार्वजनिक नहीं इनबॉक्स चैट करें
मानवीय मर्यादा को पार करते रिश्ते
चलते बैठते सोते जागते हैं चैट करें
जिंदगी में लक्ष्यहीन हो रहें हैं रिश्ते
सुखविंद्र कब ऑनलाइन से है बचा
ऑफलाइन मूल जड़ें खो रहें रिश्ते
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)