ऑनर किलिंग (लघुकथा)
राघव और सुजाता के प्यार के चर्चे हर जगह हो रहे थे, एक दिन दोनों नदी के किनारे बातों में मशगूल थे, तभी सुजाता के भाई एवं पिता चार पांच मुस्तंडों के साथ गुस्से में तमतमाते हुए पहुंच गए, दोनों संभल भी ना पाए थे कि, राघव पर लाठी-डंडे लात घूसों की बौछार होने लगी, सुजाता चीखती रही, राघव की जिंदगी की भीख मांगती रही, आखिर राघव की जवान बंद हो गई। मरा हुआ समझकर वे उसे वहीं छोड़ गए, सुजाता को घसीटते हुए घर की ओर
ले गए।
राघव और सुजाता थे तो एक ही जाति के, लेकिन सगोत्रतीय थे, समाज में सगोत्रीय विवाह स्वीकार नहीं होता, ऐसे विवाह करने से परिवार की बदनामी होती ही है, साथ ही राघव गरीब था, यही उसका सबसे बड़ा दोष था।
राघव के माता-पिता को घटना की खबर लगी, जल्दी से घटनास्थल पर पहुंच गए, शीघ्र ही पास के शहर में अस्पताल ले गए, सांसे चल रही थी उम्मीद की किरण बाकी थी,अचेत अवस्था में इलाज शुरू हुआ। उधर पुलिस छानबीन कर रही थी, चौधरी के खिलाफ कोई भी बयान देने तैयार ना था, उनकी दबंगई से आसपास के गांव तक डरते थे।
पुलिस इंस्पेक्टर चौधरी से मुखातिब होते हुए बोले, राघव के माता-पिता ने आप के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करवाई है, वह घायल है, बचना मुश्किल है, बयान देने की स्थिति में नहीं है।
गांव में किसी ने आप के खिलाफ कुछ नहीं बोला, चौधरी हां क्या बोलेंगे, सारे आरोप झूठे हैं, यह सब द्वेष बस लगाए गए हैं, मेरी इकलौती बेटी को बहला-फुसलाकर मेरी संपत्ति हथियाना चाहते हैं, मैंने किसी को नहीं मारा, तभी सुजाता आ गई, इंस्पेक्टर साहब सभी आरोप सही हैं, राघव को मेरे पिता और भाई भाइयों ने मिलकर मारा है, मैं और राघव एक दूसरे से प्रेम करते हैं,हम शादी करना चाहते हैं,जो हमारे पिता भाईयों और समाज को मंजूर नहीं, यह आनर किलिंग है इंस्पेक्टर साहब, राघव कैसा है? अगर राघव को कुछ हो गया तो मैं जिंदगी भर अपने पिता और भाइयों को माफ नहीं करूंगी। चलो इंस्पेक्टर साहब, मैं दूंगी इनके खिलाफ गवाही, मैं बालिग हूं, और मैं राघव से ही शादी करूंगी, मुझे प्रोटक्शन देना आपकी ड्यूटी है, चलो मुझे राघव के पास ले चलो, सुजाता इंस्पेक्टर के साथ अस्पताल आ गई, पिता और भाई देखते रह गए। कुछ दिन के बाद राघव को भी होश आ गया, धीरे-धीरे राघव ठीक होकर घर आ गया। पुलिस और प्रशासन के पूर्ण प्रोटक्शन में सुजाता और राघव ने कोर्ट मैरिज कर ली, और दोनों अपना सुखी जीवन व्यतीत करने लगे।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी