ऑंख में आँसू
**ऑंख में आँसू (गजल)**
****1222 2122 2****
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मुझे क्यों दर पर बुलाया है,
अधर में हम को जगाया है।
मिले पग पग पर हमें धोखे,
फिरूँ अपनों का सताया है।
झलकते हैं ऑंख में आँसू,
सदा मुझ को ही रुलाया है।
सितम सहकर भी न घबराये,
अलख आशा का जगाया है।
न टूटे सपना कभी तेरा,
किये वादों को निभाया है।
कभी मनसीरत नही भटका,
यहाँ रूहों को मिलाया है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)