ऐ हवा !
ऐ हवा ! तू क्यों खामोश है ?
क्या तू भी किसी के प्यार की मोहताज है ।
प्यार वफा इस दुनिया में,
सब बेईमानी के नाते हैं ।
चल-चल ओ मेरी रूह,
हवा ! तुझे खोजने हम आते हैं ।
खुशबू रंग चहक महक ओ आबोहवा !
प्रिया का संदेश तुझी से पाते हैं।
तू क्यों रूठी नववधू – सी,
तुम्हें मनाने हम आते हैं ।
दुनिया का व्यापार निराला,
तेरा मेरा है जो नाता, बोल जरा तू कह दे ।
तू है मुझमें, मैं हूँँ तुझमें, बोल जरा तू कह दे।
अंबर के कानों में बजती,
तेरे सुर से धरती सजती,
साँँस – साँँस में तेरा बसेरा,
चल अचल में तेरा डेरा,
मान अभी है क्यों रूठी !
तेरे बिन ये जग झूठी ।
किसके मानस में उपजी,तेरे मन को छूने की।
बोल डोल झंझा शक्ति ,क्या जल्दी तुझको सोने की।
स्मरण कर वो वह प्रलय वेग,
तांडव मचा दे,कर ना देर।
अंंधड़ झंझा चक्रवात,
न जाने तेरे कितने नाम ।
अवनी अंबर में फैला दें,
तेरा फौलादी अंधड़ ,
गरज-गरज और झंझोर झंझा !
बदल संसृति रख पंजा ,
चीख-चीख प्रचण्डी वेग से ,
बन के आ रणचंडी तेग से ।
तेरे जीवन की रखवाली ,
कोई ना समझे अपने से ,
उठ-उठ ओ रण-भवानी ! क्या पड़ा है खपने में।
ज्ञानीचोर
9001321438