ऐ मेरे वतन के लोगों.. ….…
आज के विषय गद्य लेखन पर कवि प्रदीप जी पर मेरी प्रस्तुति।
ऐ मेरे वतन के लोगों – – – – –
मैंने इस महान कवि की जन्म स्थली पर जन्म लिया। कविवर से इसलिए अत्यधिक प्रभावित हूँ।
भारतीय चित्रपट जगत के सुप्रसिद्ध कवि प्रदीप जी देशभक्ति गीत “ऐ मेरे वतन के लोगों” की रचना ( सी रामचंद्र जी द्वारा संगीतबद्ध) करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों की श्रद्धांजलि में ये गीत लिखा था। कवि प्रदीप की हार्दिक अभिलाषा थी कि इस गीत की समस्त आय युद्ध विधवा कोष में जमा की जाए।
कवि प्रदीप जी का वास्तविक नाम ‘रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी’ था। उनका जन्म 6 फरवरी 1915 को मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन जिले की बड़नगर तहसील में हुआ था । कवि प्रदीप की प्रारंभिक शिक्षा कक्षा सातवीं तक इंदौर के ‘शिवाजी राव हाईस्कूल’ में हुई। इसके बाद की शिक्षा इलाहाबाद के दारागंज में संपन्न हुई। लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक एवं अध्यापक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संबंधी उच्च शिक्षा प्राप्त की।आप विद्यार्थी जीवन में ही हिन्दी काव्य लेखन एवं हिन्दी काव्य वाचन के शौकीन रहे।
एक कवि सम्मेलन हेतु बंबई जाने पर किसी प्रकार उनका परिचय हिमांशु राय जी से हुआ। वह रामचंद्र द्विवेदी के कविता पाठ से प्रभावित हुए कि उन्होंने 200 रुपए प्रति माह की नौकरी दे दी। हिमांशु राय के सुझाव पर उन्होंने रामचंद्र द्विवेदी ने अपना नाम प्रदीप रख लिया।
1940 में रिलीज हुई फिल्म बंधन से कवि प्रदीप जी ने पहचान पाई।
फिल्म “किस्मत” के गीत “दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा है” ने तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने इस गीत का भावार्थ समझ कर उनकी गिरफ्तारी के आदेश दिए। तब कुछ समय कवि प्रदीप भूमिगत रहे। यह फिल्म अपने समय की गोल्डन जुबली फिल्म थी।
प्रदीप हिंदी साहित्य जगत और हिंदी फ़िल्म जगत के एक अति सुदृढ़ रचनाकार रहे। कवि प्रदीप हमारे हिन्दी साहित्याकाश के एक दैदीप्यमान सितारा थे। वे अपने जीवन के अंतिम दिनों तक फिल्म जगत से जुड़े रहे। आप हिन्दी फिल्म जगत के प्रतिष्ठित गीतकार व संगीतकार के रूप में मशहूर थे। उनके लिखे देश भक्ति गीत अद्वितीय थे।
11 दिसम्बर 1998 के दुर्भाग्यशाली दिन भारत का यह महान देश भक्ति कवि हमें हमेशा के लिए छोड़ पर लोक गमन कर गए। आपकी देश भक्ति पूर्ण ओजस्वी सृजन भारतीय सिनेमा व हिन्दी साहित्य जगत के लिए अक्षुण्ण व अमूल्य निधि हैं। आपको हमारा कोटि-कोटि नमन वन्दन।
रंजना माथुर
दिनांक 20/04/2018
जयपुर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©