Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jun 2021 · 1 min read

“ऐ पथिक तू संभल जरा”

“ऐ पथिक संभल जरा”
??????

ऐ पथिक तू संभल जरा,
तू सोचता क्या,खड़ा-खड़ा;
उधर भी जरा नजर दौड़ा,
की कौन कहां, कैसे मरा।

ऐ पथिक तू संभल जरा…..

मत बन, तू उतना ज्यादा बड़ा;
घमंड में तू, क्यों इतना अड़ा;
रहेगा सब धरा पे, धरा का धरा;
जब सामने होगा तेरे ,”यम” खड़ा।

ऐ पथिक तू संभल जरा…….

जब, सबका ही अंत निश्चित है,
फिर भी तू, क्यों इतना चिंतित है;
मानव जन्म के खुशियों से वंचित है,
सबका समय तो पहले से संचित है।

ऐ पथिक तू संभल जरा……..

कर्म से तू, कल्याणकारी बन;
कभी न तू, यों अहंकारी बन,
गैरों के लिए, परोपकारी बन;
सदा अब तू, सदाचारी बन।

ऐ पथिक तू संभल जरा……

जन हो, जन का न अहित सोच,
अच्छा-बुरा दिन सबका आता है,
तू सिर्फ, औरों का ही हित सोच,
एक दिन तू भी, मंजिल पाएगा।

ऐ पथिक तू संभल जरा……….

कौन है बड़ा, कौन है छोटा;
भला कौन हारा कौन जीता,
जानना तुझे, अगर है यही;
जा, तू पढ़ ले अब भी गीता।

ऐ पथिक तू संभल जरा……

स्वरचित सह मौलिक
……✍️”पंकज कर्ण
…………..कटिहार।।

Language: Hindi
7 Likes · 981 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from पंकज कुमार कर्ण
View all
You may also like:
मीठी वाणी
मीठी वाणी
Kavita Chouhan
कर पुस्तक से मित्रता,
कर पुस्तक से मित्रता,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
"बेहतर दुनिया के लिए"
Dr. Kishan tandon kranti
*सदा गाते रहें हम लोग, वंदे मातरम् प्यारा (मुक्तक)*
*सदा गाते रहें हम लोग, वंदे मातरम् प्यारा (मुक्तक)*
Ravi Prakash
अपने ही  में उलझती जा रही हूँ,
अपने ही में उलझती जा रही हूँ,
Davina Amar Thakral
सीरिया रानी
सीरिया रानी
Dr. Mulla Adam Ali
वो शिकायत भी मुझसे करता है
वो शिकायत भी मुझसे करता है
Shweta Soni
कविता- घर घर आएंगे राम
कविता- घर घर आएंगे राम
Anand Sharma
तेरी चाहत हमारी फितरत
तेरी चाहत हमारी फितरत
Dr. Man Mohan Krishna
ट्यूशन उद्योग
ट्यूशन उद्योग
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जन्मपत्री / मुसाफ़िर बैठा
जन्मपत्री / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
"सूर्य -- जो अस्त ही नहीं होता उसका उदय कैसे संभव है" ! .
Atul "Krishn"
(14) जान बेवजह निकली / जान बेवफा निकली
(14) जान बेवजह निकली / जान बेवफा निकली
Kishore Nigam
किसी को दिल में बसाना बुरा तो नहीं
किसी को दिल में बसाना बुरा तो नहीं
Ram Krishan Rastogi
हर एक अवसर से मंजर निकाल लेता है...
हर एक अवसर से मंजर निकाल लेता है...
कवि दीपक बवेजा
One day you will realized that happiness was never about fin
One day you will realized that happiness was never about fin
पूर्वार्थ
व्यर्थ विवाद की
व्यर्थ विवाद की
*प्रणय प्रभात*
Converse with the powers
Converse with the powers
Dhriti Mishra
*अनकही बातें याद करके कुछ बदलाव नहीं आया है लेकिन अभी तक किस
*अनकही बातें याद करके कुछ बदलाव नहीं आया है लेकिन अभी तक किस
Shashi kala vyas
कच्चे मकानों में अब भी बसती है सुकून-ए-ज़िंदगी,
कच्चे मकानों में अब भी बसती है सुकून-ए-ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अम्बर में अनगिन तारे हैं।
अम्बर में अनगिन तारे हैं।
Anil Mishra Prahari
क्रिसमस दिन भावे 🥀🙏
क्रिसमस दिन भावे 🥀🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
3494.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3494.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
Rj Anand Prajapati
चार दिन की ज़िंदगी
चार दिन की ज़िंदगी
कार्तिक नितिन शर्मा
*Rising Waves*
*Rising Waves*
Veneeta Narula
जंजालों की जिंदगी
जंजालों की जिंदगी
Suryakant Dwivedi
तुम्हारे इश्क में इतने दीवाने लगते हैं।
तुम्हारे इश्क में इतने दीवाने लगते हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
अब तो आओ न
अब तो आओ न
Arti Bhadauria
Loading...