ऐ दोस्त जो भी आता है मेरे करीब,मेरे नसीब में,पता नहीं क्यों,
ऐ दोस्त जो भी आता है मेरे करीब,मेरे नसीब में,पता नहीं क्यों,
वो मुझे एक नयी चोट देके चला जाता है ।
चलो माना मैंने, मैं उसके काबिल नहीं,
फिर चुपके-चुपके प्यार करने से,
आखिर,उसे क्या हासिल हो जाता है ।
लेखक :– मनमोहन कृष्ण
तारीख :– 06/05/2020