ऐ दिल तू इतने ख़्वाब मत देखा कर
ऐ दिल तू इतने भी ख़्वाब मत देखा कर
उसकी आँखों में, ख़ुद के लिए आब मत देखा कर
कितना पागल है तू, आवारापन छोड़ भी दे
वो तेरा नहीं,उसके लिए बग़ीचों में गुलाब मत देखा कर
अब ऐसे ही जीने की आदत डाल ले यारा
पैमाने तोड़ दे सब,अश्क पिया कर शराब मत देखा कर
वो तुझे जो चाहे वो समझे, ये उसकी मरज़ी
तू मुस्कराया कर, उसकी बातों में अस्बाब मत देखा कर
ग़र तूने मनमानियां की तो निकाल फेंकूँगा सीने से
फ़िर तड़पेगा रात रातभर, मेरी जाँ महताब मत देखा कर
जो भी चल रहा है काफ़िला तेरे अन्दर, चलने दे
कुछ छुपाया भी कर दर्द, मेरे हमदर्द शबाब मत देखा कर
~अजय “अग्यार