ऐ जिन्दगी
ऐ जिन्दगी तुम चाहती थी,
मेरी मुस्कुराहट को छिन कर
मुझे घुटनों पर लाना।
मुझे नीचा दिखाना।
बार-बार मुझे सपने दिखाकर
मुझे चोट पहुंचना।
मुझको रूलाना।
पर देखो फिर से मैंने
तुम्हें मात दे दी।
मैंने भी सीख लिया,
दर्द के साथ मुस्कुराना।
अभी तो तुम्हारी और हमारी
यह जंग जारी रहेगी।
यह हार -जीत का खेल
ऐसे ही चलती रहेगी।
यह सफर अभी लंबा है।
देख आगे जीतता है कौन ।
तु कोशिश करती रहो
मुझे रुलाने की।
मै तुम्हारी यह साजिश
मुकम्मल न होने दूंगी।
तु लाख दर्द दे मुझे
फिर भी मै हमेशा मुस्कुराती रहूँगी।
~ अनामिका