ऐ जिन्दगी
ऐ ज़िंदगी
ऐ ज़िंदगी क्या है तेरा आश्रा।
मिली जिसे उसे मौत से मिलाकर ही छोडी।।
क्या करुँ अब तेरा ऐतबार ।
साथ हो फिर भी है जब गमों का अम्बार।।
छोड़ कर अब चली जा ऐ जिन्दगी ।
क्यों करुँ अब तेरी बन्दगी।।
छोड़ दे अब ये दामन।
क्यों रूकी है ठहरी है मेरे राह में
जा ऐ जिन्दगी जा कहीं दूर बहुत दूर चली जा।
मिलना फिर कभी किसी मोड़ पर।
कहीं और कहीं पनाह होकर।।
ऐ जिन्दगी जा कहीं दूर चली जा।
खाक हो जा या राख होने दे।
ऐ जिन्दगी जा कहीं दूर बहुत दूर चली जा।।
क्यों रास्ता रोकती है।
बेवजह यों टोकती है?
ऐ जिन्दगी जा कहीं दूर बहुत दूर चली जा