ऐ जिंदगी।
ऐ जिंदगी तुमसे नही है कोई भी शिकवा।
शिकायत क्या करें जब खुदा ने ही ना दिया।।1।।
जिसपे मरते थे उसने भी इश्क ना किया।
रिश्तों में उसने भी हमको समझा है बेवफा।।2।।
रिश्ते नाते सब ही हमसे हो गए है जुदा।
ऐसी जिन्दगी जी नही जाती हमसे ऐ खुदा।।3।।
ढूंढते है कबसे हम हकीम ए दिल यारों।
जो मरहम लगादे मिलजाए हमें भी शिफा।।4।।
कुछ तो गुनाह किए ही होंगे ज़िंदगी में।
बिना वजा के ना मिलती है कोई भी सजा।।5।।
इस तरह भी दिल में दर्द ना भर खुदा।
ऐसी क्या कर दी है हमने ज़िंदगी में खता।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ