ऐसे ही
तुम्हे पैसे का बुखार ,,सही कहो न यार ,,
या वही बोतल की धार ,,या फिर नदिया के पर ..
मिला जब से ताज ,भैया आप ही को राज
नहीं लगती है लाज ,,सुरा सुंदरी को साज
दिन में करते हो ब्लैक ,, फिर भी बनते हो नेक ,,
रोज छपती कहानी आप कर्ण से भी दानी ;;
पूंजीवाद की बहार ,, पड़ी गरीबों पे मार ,,
आपको घर है आबाद, भले सब हों बर्बाद …………….