ऐसे हार नहीं मानेंगे
हार जीत तो लगी रही है
सदियों पहले से इस जग में
फूलों के संग कांटे भी हैं
जीवन पथ की हर एक डग में
हंस कर आगे बढ़ जाएंगे
ऐसे हार नहीं मानेंगे
आज अंधेरा घिरा हुआ पर
कल सूरज तो निकलेगा ही
आज घड़े में पानी कम पर
कल जल से भर छलकेगा ही
अपनी शक्ति पहचानेंगे
ऐसे हार नहीं मानेंगे
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डॉ रीतेश कुमार खरे