ऐसे मेहमानों का
यह माचिस की डिब्बी
मुझे घर में रखनी ही नहीं
क्योंकि जाने अंजाने मुझे
अपने घर को जलाना ही
नहीं
न खुद को
न अपने घर को
आग लगानी ही नहीं
सूरज भी निकलता है
आसमान में तो
दूर ही लटका रहे
एक जलते ग्लोब सा
मेरे घर की खिड़की तक तो
बिल्कुल न आये
ऐसे मेहमानों का
स्वागत करके
मुझे अपने घर में अन्ततः आग
लगानी नहीं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001