ऐसे थे मेरे पिता
जिनके गुणों का वर्णन
करने के लिए
शब्द ही न मिलें
ऐसे थे मेरे पिता
मेरी दुनिया थे वह
मेरे भगवान थे वह
मां से बढ़कर भी जो प्यार करे
ऐसे पिता थे वह
सारी उम्र लुटाया उन्होंने मुझ पर
दिल खोलकर
अपने बेशकीमती प्रेम का खजाना
भर दिया नस नस में मेरी प्रेम इतना कि
मरते दम तक न होगा मेरे दिल का
कोई कोना खाली
मेरे दोस्त से वह
मेरे हमराज थे वह
इस कायनात में बिखरे रंगों का
एक सूरज सा चमकता सुनहरी रंग थे वह
चांद से सुंदर
फूल से कोमल
एक अथाह प्यार का
खजाना लुटाते
समुंदर थे वह
मेरी तो भावनाओं का द्वार खोलते
एक अलौकिक
इस लोक से उस लोक पहुंचाती
कोई धार थे वह
तब भी और अब भी थामे बैठे वह तो मुझे
इस दुनिया में मुझे सबसे प्यारे
प्रभु के द्वारा प्रदत एक सबसे
अनमोल उपहार थे वह।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001