ऐसे कवि को धिक्कार!
जो दे ना सके
किसी को रोजगार
भाड़ में जाए
अब ऐसी सरकार…
वे अच्छे दिन
आखिर हैं तो कहां
दिखाते जिन्हें
टीवी और अखबार…
जो आंखों देखा
हाल भी न कह सके
हर उस कवि को
आप भेजिए धिक्कार…
सुकरात, मंसूर
और कबीर के वारिस
कोई लोरी नहीं,
हम तो गाते ललकार…
Shekhar Chandra Mitra
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