ऐसी ही हूं
_ मौन हूं
पर गलत होते सहन नहीं!
_ शांत नदी सी हूं
पर मिट्टी का ढेर नहीं!
_ थमी हूं
पर मन में बैठा डर नहीं!
_ बारूद सी हूं
पर तोपों का शोर नहीं!
_ गरज हूं
पर फसलों की दुश्मन नहीं!
_ छोर सी हूं
पर कटी पतंग नहीं!
_ उबाल हूं
पर सोलो का घर नहीं!
_ ऐसी ही हूं
पर ना डर से डर है ना रोब किसी का हम पर है शांत
जरूर हूं मगर पर गलत होते देखना यह हमसे सहन
नहीं……..!!