ऐसी बरसात भी होती है
एक भी बूंद न गिरे, ऐसी बरसात भी होती है।
लब एक बार न हिले,ऐसी बात भी होती है।
भीगा होता है चेहरा ,आंखें सरशार अश्कों से
लब रहे मुस्कुराते,ऐसी मुलाकात भी होती है।
धुले हुए दीवारों दर,धुला हुआ सा आसमां
भाग्य का लिखा न धुले,ऐसी मात भी होती है।
करके बैठे होते हैं ,जिस पर खुद से ज्यादा यकीं
खंजर पीठ में घोंपे,ऐसी विश्वासघात भी होती है।
कच्ची छत तो टूटेगी , बरसात के आ जाने से
कुछ पक्के घर भी टूटे ,ऐसी आघात। भी होती है।
बहुत पढ़ा है लोगों को,तब ही तो लिख पाती हूं
नयी सीख जो दे जाते,ऐसी हालात भी होती है।
मन मेरा कभी भीग न पाया ,जब से तेरे नाम रंगी
डूबने से ही बच जाये ,ऐसी निजात भी होती है।
सुरिंदर कौर