“ऐसी दोस्ती”
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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नहीं अनुरोध
भेजो तुम
नहीं क्षण में
जुड़ो सबसे
जरूरी है कि
तुम जानो
नहीं तो तुम
मुड़ो उनसे
बनोगे दोस्त
बिन जाने
निकट में
कष्ट ही होगा
दुखेगा दिल
हमेशा ही
समय फिर
नष्ट ही होगा
सबों में है
छुपी प्रतिभा
सभी नभ के
सितारे हैं
छुपा है रंग
भी इनमें
नहीं धूमिल
नज़ारे हैं
कोई लिखता है
गीतों को
कई तो लेख
लिखते हैं
किसी के पास है
अभिनय
कई नायक भी
बनते हैं
हमें बस चाह है
ऐसी
मिले कोई
मुझे अपना
रहे ओ दूर ही
सब दिन
हमारा पूर्ण
हो सपना !!
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डॉ लक्ष्मण झा परिमल
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
17.07.2024