ऐसी देश में भयी अचरज
गीत
ऐसी देश में होय अचरज,
कि शिक्षा पाई बाबा साहेब,।
कलम उठाई हाथ बढ़ाया,
शिक्षा में कोई पछाड़ न पाया,।
गुरु विरोधी जितने हो गये फैन,
ऐ कहां इतनी शिक्षा पायो,।
दवे कुचलों को दिलाई हक धीर,
रोते उनको देखा हैं,।
शिक्षा में ऐ प्रथम आऐ,
ईनाम बिजेता प्रथम पाये,।
राजा बड़ोदा को भई ऐ ख़बर,
भीमराव शिक्षा अधिक जानी हैं,।
संदेशा भेजा भीमराव बुलाये,
रामजी राव साथ पिता बुलाये,।
मन कर कहरहे हैं बड़ोदा सरकार,
तुम सुन लो बात हमारी सूबेदार,।
प्रथम शिक्षा में भीमराव आया,
तुम भेजो इसे विदेश पढ़ाया,।
पैसा फीस की लग हैं ,
हम कह रहे बचन उचार,।
अब तो मानों तुम सूबेदार,
फीस दे हैं बड़ोदा सरकार,।
शिक्षा पाई भीमराव आये,
कितने कठिन ऐ परिश्रम पाये,।
बहुत सभाएं इन्होंने कीनही,
गांधी नेहरू विरोध में लीन ही,।
बाबा साहेब जब आंगे बढ़ गये,
सारे नेता पीछे पढ़गये,।
जब देश में हो रही हा हां कार,
अब देश हमारों कैसे चल हैं,।
गांधी नेहरू घूम घाम आये,
बापिस बाबा साहेब नो जाये,।
कहते गांधी नेहरू सम्मति उचार,
लिख दो अब तुम भारत संविधान,।
बाबा साहेब ने सर्त हैं कींही,
अपने लोगन हक हैं दींही,।
जेसा कहां हम बेसा माने,
तुम तो लिख दो भारत संविधाने,।
ऐसी देश में होय अचरज,
कि शिक्षा पाई बाबा साहेब,।।
लेखक—जयविंद सिंह,।