ऐसा हो परिवार
ऐसा हो परिवार जहाँ पर
आदर और सम्मान हो|
निर्मल, निश्छल, निष्कपट,
नि:स्वारथ हर इंसान हो||
ऐसा हो परिवार जहाँ पर आदर और सम्मान हो|
हर्ष, उमंग, उत्साही धारा,
निशदिन जहाँ प्रवाहित हो |
बचपन भरे किलोल जहाँ पर,
जरा, ज़रा न अपमान हो ||
ऐसा हो परिवार जहाँ पर आदर और सम्मान हो|
भाई, बहन, पत्नी और बच्चे
सबसे दुलार अपार हो|
माता-पिता, दादा और दादी
का जहाँ अतुल सम्मान हो||
ऐसा हो परिवार जहाँ पर आदर और सम्मान हो|
राग-द्वेष, लालच रहित हो,
सास-बहू, माँ-बेटी हों |
वचन सँभाले बोल ‘मयंक’
ना रिश्तों का अपमान हो ||
ऐसा हो परिवार जहाँ पर आदर और सम्मान हो|
✍के.आर. परमाल “मयंक”