एक ऐसा परिवार….
परिवार है जहाँ,
प्यार है वहाँ।
इसमें है हँसी,
इसमें है ख़ुशी।
सुख – दुख का साथी है,
पर इतना ना काफ़ी है।
चाहिए इसका साथ,
खुशियों भरी सौग़ात।
बड़ों का प्यार है इसमें
बुज़ुर्गों का आशीष है इसमें।
बच्चों की हँसी है इसमें,
सबकी ख़ुशी है इसमें।
सभ्य है,संस्कार है,
सत्य का विचार है।
समाज की मर्यादा है,
दिलों में तरोताजा है।
संयुक्त परिवार हो सपना,
जिसमें सभी हो अपना।
रहे ना नाराज़ कभी,
हों दिल के पास सभी।
इसकी महत्ता को जानो,
रिश्तों को तुम पहचानो।
जहाँ परिवार का साया है,
वहाँ वृक्ष की छाया है।
साथ रहेंगें मरते दम,
खाते हैं हम ये क़सम।
अपने – अपनों से खिले,
क़दम – क़दमों से मिले।
चाहे जहाँ भी जाएँगे,
इनकों ना बिसराएंगें।
गर भूल हुई ग़लती से,
माफ़ करेंगें हिल – मिल के।
साथ निभाना है हरदम,
चाहे ख़ुशी हो या ग़म।
अपनों का संसार है ये,
सपनों की भरमार है ये।
है यहाँ धूप,बारिश और छाया,
सबको मिलती स्नेह की माया।
ऐसा परिवार हो सपना,
जहाँ रहें सभी अपना।
—–सोनी सिंह
बोकारो(झारखंड)