ऐसा ही होता रिश्तों में पिता हमारा…!!
कभी दोस्त जैसे बनकर गले लगाता,,,
तो कभी जिंदगी से गमों को भगाता,,,
नहीं है कोई दूसरा यहां उन के जैसा,,,
कड़ी धुप में हरदम छाया बन जाता,,,
ऐसा ही होता रिश्तों में पिता हमारा…!!
जिंदगी में हर पल को हमें सिखाता,,,
हर घाव में मरहम बनके लग जाता,,,
हर मुश्किल मेंभी वो साथ निभाता,,,
कभी-कभी तो मां जैसा बन जाता,,,
ऐसा ही होता रिश्तों में पिता हमारा…!!
ना जाने कैसे वो मुझ को पढ़ लेता,,,
हमारे साथ वो हम जैसा बन जाता,,,
सिर पर आशाओं का बोझ उठाता,,,
हर विपत्ति से वो डटकर लड़ जाता,,,
ऐसा ही होता रिश्तों में पिता हमारा…!!
मेरे हर पग पर अपना हाथ बढ़ाता,,,
मैं गिर ना जाऊं कहीं वो संभालता,,,
हम सबसे ही वो अपने गम छुपाता,,,
हमेशा ही वो बस मंद मंद मुस्काता,,,
ऐसा ही होता रिश्तों में पिता हमारा…!!
ताज मोहम्मद
लखनऊ