ऐसा ही है प्यार हमारा
सारी मर्यादायें तोड़ी , मन को थोड़ा किया सबल !
ज्यों ही पलटी मिरी ओर तो , आँखें भूल गयी हलचल !!
फिर कन्धे पे सर को रखकर , बही प्रेम की धारा !
पल भर में मीठा हो बैठा , आँख का पानी खारा !!
ऐसा ही है प्यार हमारा !!
कुछ शिकायत वो करती थी , कुछ हमनें कर डाली !
पूर्ण समर्पित करके हमने , प्रीत की लाज बचा ली !!
निष्छल मन से एक एक , बातों का खुला पिटारा !
सब अधिकार स्वतः जागे अरु , झुलसा दुःख-अंगारा !!
ऐसा ही है प्यार हमारा !!
ख़्वाबों के सच हो जाने का , समय आ गया आज !
हे कान्हा ! मुझे आज हो रहा , तेरे काज पे नाज !!
जिसकी तस्वीरों के बल पे , जीत गया जग सारा !
उनके सम्मुख आने से मैं , जीत जीत के हारा !!
ऐसा ही है प्यार हमारा !!
शरमा शरमा करके उसने , छल्ला कर दिया कपड़ा !
जिसमें उसने मिरे मन को , कस करके है जकड़ा !!
उसका हाथ बने अम्बर अरु , मैं हो जाऊं तारा !
उसमें सिमटूँ उसमें निखरुं , उसका होऊँ यारा !!
सदा रहे यूँ प्यार हमारा !!
– शशांक तिवारी