” ऐसा रंग भरो पिचकारी में “
प्रेम रंग की बौछारें हैं
भीगो अबकी बारी में
नेह,स्नेह,भाव,प्रीत के
रंग भरो पिचकारी में
बैर,द्वेष के भाव मिटे सब
प्रेम उगे हर क्यारी में
फुहारों से ग़मक उठे मन
प्रीति खिलें फुलवारी में
नीले पीले लाल बैंगनी
बासंतिक रंग गारी में
प्रेम वृक्ष को इतना सिंचो
रस टपके अगियारी में
रंग गुलाल में प्रेम रंग हो
तन-मन भीगे यारी में
चढ़े रंग, उतरे ना “चुन्नू”
ऐसा रंग भरो पिचकारी में
•••कलमकार•••
चुन्नू लाल गुप्ता–मऊ (उ.प्र.)