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14 Nov 2024 · 1 min read

ऐसा निराला था बचपन

दादी नानी के लाङ में पनपता
बात बात पर खिलखिला हॅसता
अपनी छोटी सी दुनिया में मस्त
ऐसा निराला था बचपन

गलियों में साथियों संग खेलता
कंचों और गोलियों की जंग जीतता
बाबा की मीठी झिङकियां सुनता
ऐसा निराला था बचपन

आज भी पुराने साथियों से याराना है
संदूक में छुपा पतंगों का खजाना है
प्यारा सपना जो सोते से जगाता
ऐसा निराला था बचपन

गुज़रो जो बीती गलियों से
बचपन फिर फिर बुलाता है
ज़बान पर उस छोटी सी
टाफी का स्वाद घुल जाता है
सच में बचपन तो ऐसा ही था

चित्रा बिष्ट

Language: Hindi
14 Views
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