ऐसा दिलबर ना मिले किसी को( स्वर्गीय सुशांत सिंह राजपूत के याद मे)
रहबर ना करें वो दिलबर ना मिले
रूह में सिमटाकर वो तोहमत करें।
रहबर ना करें वो दिलबर ना मिले
लम्हों में मिलें चंद रुपयों के लिए।
रहबर ना करें वो दिलबर ना मिले
दिल के आयाम में वो सजा कर साजिश ना करें।
छोड़कर जाना दिल तोड़ के जाना
मूंह फेर लेना गम दे जाना ।
रहबर ना करें वो दिलबर ना मिले
रूह में सिमटकर वो तोहमत करें।
बीच राह में संग छोड़ देना
सच में छोड़ देना जिस्म जान बख्श देना।
रहबर ना करें वो दिलबर ना मिले।
(ये गीत उन व्यक्ति
( के लिए जो मोहब्बत में जान ले लेते है चंद (रूपयों के लिए जो मोहब्बत दे सकता है वो क्या नहीं दें सकता ,पैसा, उससे मांग कर तो देखों मत करो ये साजिश) – डॉ. सीमा कुमारी बिहार ,भागलपुर, दिनांक-20-3-022 की मौलिक स्वरचित रचना हैं जिसे आज प्रकाशित कर रही हूँ।