ऐसा तूफान उत्पन्न हुआ कि लो मैं फँस गई,
ऐसा तूफान उत्पन्न हुआ कि लो मैं फँस गई,
निकलने का द्वार नहीं मिल रहा,
नियती भी यह देख मूझ पर हंस पड़ी।
आरोप किस पर लगाऊँ ,
इस दुस्वप्न को कैसे मैं हटाकर कदम अपने आगे बड़ाऊँ।
ऐसा तूफान उत्पन्न हुआ कि लो मैं फँस गई,
निकलने का द्वार नहीं मिल रहा,
नियती भी यह देख मूझ पर हंस पड़ी।
आरोप किस पर लगाऊँ ,
इस दुस्वप्न को कैसे मैं हटाकर कदम अपने आगे बड़ाऊँ।