ऐसा जीवन
क्लेष,ईर्ष्या,द्वेष,क्रोध
रुपी अनल का प्रभंजन
यज्ञ की आहुति,उपासना एवं हवन
शुद्ध,सुरभित जीवन,निर्मल मन
जैसे अग्नि से तप्त हो स्वर्ण हुआ कुंदन
ऐसे ही सद्भभाव की ज्वाला से
प्रदीप्त हो गृह का आँगन,
धन्य हो हम सब का ऐसा जीवन
सुनील पुष्करणा