ऐसा अपना गुजरात है
सुगम सहज निर्मल और कोमल,
हो नित्य प्रगति की बात है।
धन्य धरा की पावन मिट्टी ,
ऐसा अपना गुजरात है।।1।।
सुख शांति और समृद्धि की,
होती पावन बरसात है।
मन मे है संतोष सभी के,
ऐसा अपना गुजरात है।।2।।
राष्ट्र धर्म और कर्मयोग की,
होती प्रगति दिन रात है।
यश वैभव से सिंचित पूरित,
ऐसा अपना गुजरात है।।3।।
साबरमती की निर्मल धारा,
रक्षक यहां सोमनाथ है।
अतिमनभावन सुखद सुहावन,
ऐसा अपना गुजरात है।।4।।
स्वरचित गीत
तरुण सिंह पवार