ए शाम!
ए शाम! हमसे कुछ तो बोल,
ये हवाएं कौन सी खुशबू ला रहीं है।
इन पंक्षियों की चहचहाहट सुन,
इतना मधुर न जाने ये क्या गा रहीं है।
तारोंभरा दूर तलक फैला नीला आकाश,
हर दिशा शान्ति का गुन गा रही है।
ए शाम! आ हम दोनों बात करें कुछ,
शायद तू नाराज है तेरी चुप्पी बता रही है।
-शशि “मंजुलाहृदय”