ए मेरे हमसफ़र
याद अपनों की आने लगी इस कदर
हमको खुद की रही ना कोई भी ख़बर
अब ये तू ही बता ए मेरी जिंदगी
क्या वहां भी मेरी याद कर रहा है शहर ?
अब ये सांसे भी तेरी ग़जल कह रही
और धड़कन की धक धक में तू बह रही
आसमां भी कहे दास्तां बस तेरी
में हूं पग पग मुसाफ़िर तू है हमसफ़र
कभी बरसे जो सावन तो तुम आइए
फिर बसंती छटा में समा जाइए
इन अधूरे सवालों को कर दो सरल
याद आने से पहले चले आइए
कह भी दूं में सभी को तू है मेरा घर
ए मेरे हमसफ़र ए मेरे हमसफ़र