ए मेरे दोस्त
मेरे अजीज जन्नतनश़ी दोस्त सुरेश को पेश – ख़िराजे अक़ीदत :
मेरे दोस्त तू इस तरह जा नहीं सकता।
बीते हुए लम्हों की यादें छोड़कर तू जा नहीं सकता।
दिल नहीं मानता तू नहीं है ए मेरे दोस्त मेरे साथ।
क्या करूं मजबूर हूं इस ज़ालिम कुदरत के हाथ।
मेरे दिल में तू हमेशा पाबस्ता रहेगा धड़कन की तरह।
तेरा एहसास- ए- व़जूद मेरे साथ रहेगा एक साए की तरह।
तेरी इऩायतें ,तेरी मस़लहते , तेरी दोस्ती की काय़म वो मिसाल।
मुतास़िर करती रहेगी दोस्तों में सच्ची दोस्ती हर बार हर हाल।