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9 Jun 2022 · 1 min read

ए ! जिंदगी तू काफी कच्ची है

ए ! जिंदगी तू काफी कच्ची है,
पेंसिल की तरह घिसती जा रही।
रबड़ भी हर समय तुझको ही,
यह पल पल घिसती है जा रही ।।

मत कर गुबान इस जिंदगी का,
ये मुस्तकिल नहीं मिली तुझको।
कर इस्तेमाल इसका दूसरों के लिए,
यह पल पल मिटती है जा रही।।

चल रहा है दौर कोरोना का
जिंदगी कोरोना से लड़ रही।
लगे हैं मौत के अंबार हर जगह,
यह पल पल सड़ती है जा रही।।

नहीं भरोसा है इस जिंदगी का,
यह सिमटती है अब जा रही।
कर इस्तेमाल इंसानियत के लिए,
इंसानियत कम होती जा रही।।

ये जिंदगी है पानी का बुलबुला,
बुलबुले की तरह है जी रही।
मौत अब है बहुत ही प्यासी,
पानी की तरह पीती जा रही।।

मौत अब है हर दरवाजे पर,
हर दरवाजे को खटखटा रही।
कब तक दरवाजा नहीं खोलोगे ,
वह खाने के लिए छटपटा रही।।

बता रहा हैं रस्तोगी सभी से,
जिंदगी मौत से है बोल रही।
दो माह का बख्त दे दो मुझे
फिर दरवाजे मै हूं खोल रही।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 309 Views
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